21 March 2024

मेरी जाना

ये उलझी उलझी  सांसों का 

बे मतलबी सी बातों का 

हाथों में मेरे, हाथों का 

कांधो पे ढलके बालों का 

मेरी ख्वाहिशों का ख्वाबों से

ये राबतां है कैसा, मेरी जानां



वो कैडबरी की गिफ्ट का

वो बाइक की उस लिफ्ट का

वो पीछा करती स्विफ्ट का

वो दोस्ती में रिफ्ट का

ये माजरा है क्या मेरी जानां



वो खत वाली  किताबों का

मेरे सवालों के जवाबों का 

वो खिले खिले गुलाबों का 

आंखों में उन आदाबों 

मदहोश उन शराबों का 

क्या है  सिलसिला  ओ जानां ...


उस फलक  से इस ज़मीन का 

 उस शुबाह से इस यकीन का 

इक  प्यार  हो  हसीन सा

हो साथी इक जहीन सा 

तू ही अब मेरा हो मेरी  जानां...


~ संध्या प्रसाद 

17 March 2024

सुनो न ज़िंदगी घर को चलते है

 सुनो न ज़िंदगी..

चलो  न, अपने  घर को  चलते है ..

ज़ख्म खाई रातों के घावों पे

सुबह का मलहम  सा रखते है !


तीखी धूप सी 

जो जल उठी हो खुद यूं भीतर से,

आओ न ठंडे सायों को 

तुम्हारा बदन  सा करते है .


कहीं  सीधी नहीं 

बड़ी  ही उल्टी है दुनिया ये 

चलो न पांव को सर 

और 

सर को पांव करते है 

चलो न ज़िंदगी फिर से 

शहरों को गांव करते है 

चलो न ज़िंदगी

आज अपने घर को चलते है 

16 March 2024

अपनी अपनी सबने कही है

 अपनी अपनी सबने कही है 

सब को लगता है वो सही है 


धुआं चिलम चिता और चिंता

आंखों से कब सब नदी बही है


कच्चे रिश्ते ,   कच्चे वादें 

कच्चे घर की दीवार ढही है 


बेटे होंगे आंखों के तारें  

बिटिया पावन धाम खुद ही है 


काम क्रोध लोभ और माया 

क्यों हर जीवन का सार यही है 


पुण्य का क्रेडिट पाप का डेबिट

रब के पास सब खाता बही है 


छुप जाओ तुम चाहे ख़ुद से

'उसकी ' आंखें देख रही है



~संध्या

सबने अपनी अपनी कही है

 










अपनी अपनी सबने कही है 

सब को लगता है वो सही है 



धुआं चिलम चिता और चिंता

आंखों से कब सब नदी बही है


टूटे रिश्ते ,   टूटे खंडहर

कमज़ोर कड़ी हरदम ही ढही है 


वर्तमान है कीमती पूंजी 

भूत यही  है भविष्य यही है 


पुण्य का क्रेडिट पाप का डेबिट

रब के पास सब खाता बही है 


छुप जाओ तुम चाहे ख़ुद से

'उसकी ' आंखें देख रही है





~संध्या 




15 March 2024

एक धुन

 एक धुन सदियों  से

गुनगुनाती तुझे

वो है गाती तुझे

सुनाती है तुझे...

एक धुन सदियों  से

गुनगुनाती तुझे

वो है गाती तुझे

सुनाती है तुझे...



वो धुन भंवरों ने है चुराई

जाने कैसे 

वो धुन यूं बारिशों में खनखनाई

जाने कैसे 

इस हवा में सुर छिपे है 

बूंदों में स्वर बुने है 

बहारें बोलती है 

किनारे डोलती है

राज़ दिल में जो छिपे है

आंखों से वो खोलती है 

इस देहरी से उस

दहलीज पे बुलाती है तुझे

इश्क ही बस ज़िंदगी है 

ये बताती है मुझे 










8 March 2024

आंखें जादू


आंखें जादू, हुस्न का तड़का

दिल में इश्क  का शोला भड़का


सुनहरी सुबह की रंगत देख  के

चांद रात का दिल यूं धड़का


बातों वादों का वो धनी  था

जेब से लेकिन  था वो कड़का 


दिल में वो दबे पांवों आया  

न खिड़की न दरवाज़ा खड़का 


ग़ज़ल गांव के बाशिंदे दोनो 

धूप सी लड़की चांद सा लड़का









7 March 2024

आधी नज़्म का पूरा टुकड़ा

अधूरी नज़्म का पूरा टुकड़ा 

किसे सुनाएं अपना दुखड़ा 


नई नई  दौलत थी उसकी

चलता था वो अकड़ा अकड़ा


नए शहर का काज़ी था वो 

नया  चोर था उसने पकड़ा


कितने थे वो दर्द छुपाए 

हंसती आंखे सुंदर मुखड़ा 


गली के रस्ते चौड़े थे सब 

दिल का  रस्ता सकड़ा सकड़ा 


पहन के इक तितली का  मुखौटा 

जाल बुने वो काला मकड़ा


 रियल कौन  था ,कौन वर्चुअल

कोई न जाने क्या है लफ़ड़ा 


 कहे सांझ  जीवन में हर कोई

सुख दुख के बंधन में जकड़ा




 






5 March 2024

एक ख़त


एक खत  

एक मियाद से

आँखो मे लिखा है

एक सच

कई सदियों से

दिल ने कहा है

क्या  वो खत तुम पढ़ोगे बताओ ज़रा

क्या वो सच तुम सुनोगे बताओ ज़रा

हां बताओ ज़रा .....

हां बताओ ज़रा .....


क्या लिखा  उस  खत मे ये

कोई भी न जाने

जो कहा  इस दिल ने वो

कोई भी न माने

एक कहानी  पुरानी जो

 वक़्त ने लिखी थी

उसमे राजा था, रानी 

कहीं भी नहीं थी

एक नदी थी जो

सागर को मिलने चली थी

खो गई राह मे

या फिर गुम हो गई थी

जो  अधूरी कहानी  है  सुनाओ ज़रा

दरियाओं को सागर से, मिलाओ ज़रा

हां बताओ ज़रा

हां सुनाओ ज़रा


......



ये जो खत तूने आंखों ही 

आंखों में पढ़ा है

तेरे दिल को  दिल ने 

कुछ कहते सुना है 

मेरा छोटा सा घर है,

बसाओ ज़रा 

रानी अपने उस घर की 

बनाओ ज़रा 

जताओ ज़रा 

पास आओ जरा







28 February 2024

Did you just notice

Did you just notice 

when the lights faded away 

and  night waded it's way,

the gleam of stars

the shine of moon

shone  the bay

And the mighty skies

answered the pray 



when the words 

the jibes were thrown our way

so much was said

that wasnt meant to say

a smile fluttered 

across the lips

the eyes then twinkled  

and made the day 










27 February 2024

Boon or a bane ?

 life is a boon 

or life is bane?

life is gain 

or life is pain?

No one knows

what it holds

in it's fold,

the arcane

or mundane?

26 February 2024

If trees could speak











If trees could speak 

and express their grief

Through the mountains and

 through the  creeks, 

they would beseech 

and  call upon  

the fallen twigs 

and long gone leaves


When autumn would ....

say goodbye 

and set the jungle 

as if on fire 

the spring would then  

sneak peek  in ...

the colors all over 

begin to grin 

The melting snow would

sing  lullaby

of dark lonely  days so gone 


As the raindrops would

drizzle down 

humming pittar-patter 

symphonic sound ...

The flowers bloom 

decked up with plume

The thunder and bolt 

leaves all awestruck

as the mother nature

casts away its molt


The meadows adorn 

the grass and thorn

The daisies are so lovelorn

In the jungles are sworn

the teaks n acorns 

The plumeria and camellias yawn

And the celebrations of life 

on the planet earth 

goes on and on 





















25 February 2024

एक नगीने की तरह नायाब हो तुम

 



एक नगीने की तरह नायाब हो तुम 

ज़िंदगी एक सहरा, शादाब हो तुम


दिलकश भी तुम दिलनाज़ भी तुम 

हरदिल हो अजीज़,  सरताज हो तुम


एक अरसे से कोई मुलाकात  नहीं 

किस बात पे हमसे नाराज़ हो तुम 


हम तुमसे जुड़े जैसे रूह से' बदन 

परिंदा है हम , परवाज़ हो तुम 


सफ़र से है हम और सफ़र पे है हम

कि अंजाम ही तुम, आगाज़ हो तुम 

24 February 2024

Would you care?

 










Would you care 

would you share 

all my truths 

and all my dares

I know I ask for pretty much 

for life aint fair!!


My truth was made  a lie

my prudence was 

made to die

will you help me hold head high,

for.... life won't spare



All my dreams

would cry and scream

All my thoughts

feel ever forver demean 

Will you help them fly so high

for.... life wont debonair



All the willows that

weep in the misty dark 

The  worn souls wait for the

Noah's ark 

Will you sail me through this strife,

for life won't swear 


~Sandhya Prasad










20 February 2024

मैं कहूं न कहूं

 




मैं कहूं न कहूं













मैं कहूं न कहूं

या कभी

कह न सकूं

हो सके... तो मुझे ....

ख़ामोशी... के शोर में....

सुन लेना!!




कायदों में बंधी

थोड़ी रस्में रखी

वायदों में पली

थोड़ी कसमें रखी 

इन तरानों की

इन फसानों की

है बुनी..... धुन नई...जानेजां

गुनगुनाऊं कभी

गीत इकरार के ,

हो सके तो मुझे 

धड़कनों के शोर में ...

सुन लेना !



जिरहों में जो ढली 

ख्वाहिशें थी  वो छली 

बिरहों में जो पली

ख़्वाब की वो डली 

सारे इनकारों की

सारे इकरारों की

है लिखी नज़्म ये जानेजां 

गुनगुनाऊं कभी

ग़ज़ल ये प्यार की 

हो सके तो मुझे 

लफ्ज़ों की डोर में....

बुन लेना!!