ये उलझी उलझी सांसों का
बेमतलबी सी बातों का
हाथों में तेरे, हाथों का
कांधो पे ढलके बालों का
ख्वाहिशों का ख्वाबों से
ये राबतां है कैसा,
मेरी जानां.....
वो कैडबरी की गिफ्ट का
बाइक की उस लिफ्ट का
वो पीछा करती स्विफ्ट का
वो दोस्ती में रिफ्ट का
ये माजरा है क्या,
मेरी जानां....
वो खत वाली किताबों का
सवालों के जवाबों का
खिले खिले गुलाबों का
आंखों में उन आदाबों
मदहोश उन शराबों का
क्या है सिलसिला ओ जानां ...
फलक से इस ज़मीन का
शुबाह से इस यकीन का
इक प्यार हो हसीन सा
हो साथी इक जहीन सा
तू ही अब मेरा हो
मेरी जानां...
~ संध्या प्रसाद
6 comments:
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" शनिवार 23 मार्च 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
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बहुत सुंदर
वाह
सुन्दर रचना
वाह!!!
बहुत ही सुंदर..
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