Let my thoughts
Paint you ...
On canvas of my love .,,,
Lavender red and blue ...
Lavender for
Your smell of Dew
Red for exploring
The Tactile new
Blue for the
Eyes that have lustrous hue ..,
#मैं_ज़िंदगी
Its about me, मैं and myself
Let my thoughts
Paint you ...
On canvas of my love .,,,
Lavender red and blue ...
Lavender for
Your smell of Dew
Red for exploring
The Tactile new
Blue for the
Eyes that have lustrous hue ..,
#मैं_ज़िंदगी
ये उलझी उलझी सांसों का
बे मतलबी सी बातों का
हाथों में मेरे, हाथों का
कांधो पे ढलके बालों का
मेरी ख्वाहिशों का ख्वाबों से
ये राबतां है कैसा, मेरी जानां
वो कैडबरी की गिफ्ट का
वो बाइक की उस लिफ्ट का
वो पीछा करती स्विफ्ट का
वो दोस्ती में रिफ्ट का
ये माजरा है क्या मेरी जानां
वो खत वाली किताबों का
मेरे सवालों के जवाबों का
वो खिले खिले गुलाबों का
आंखों में उन आदाबों
मदहोश उन शराबों का
क्या है सिलसिला ओ जानां ...
उस फलक से इस ज़मीन का
उस शुबाह से इस यकीन का
इक प्यार हो हसीन सा
हो साथी इक जहीन सा
तू ही अब मेरा हो मेरी जानां...
~ संध्या प्रसाद
सुनो न ज़िंदगी..
चलो न, अपने घर को चलते है ..
ज़ख्म खाई रातों के घावों पे
सुबह का मलहम सा रखते है !
तीखी धूप सी
जो जल उठी हो खुद यूं भीतर से,
आओ न ठंडे सायों को
तुम्हारा बदन सा करते है .
कहीं सीधी नहीं
बड़ी ही उल्टी है दुनिया ये
चलो न पांव को सर
और
सर को पांव करते है
चलो न ज़िंदगी फिर से
शहरों को गांव करते है
चलो न ज़िंदगी
आज अपने घर को चलते है
अपनी अपनी सबने कही है
सब को लगता है वो सही है
धुआं चिलम चिता और चिंता
आंखों से कब सब नदी बही है
कच्चे रिश्ते , कच्चे वादें
कच्चे घर की दीवार ढही है
बेटे होंगे आंखों के तारें
बिटिया पावन धाम खुद ही है
काम क्रोध लोभ और माया
क्यों हर जीवन का सार यही है
पुण्य का क्रेडिट पाप का डेबिट
रब के पास सब खाता बही है
छुप जाओ तुम चाहे ख़ुद से
'उसकी ' आंखें देख रही है
~संध्या
अपनी अपनी सबने कही है
सब को लगता है वो सही है
धुआं चिलम चिता और चिंता
आंखों से कब सब नदी बही है
टूटे रिश्ते , टूटे खंडहर
कमज़ोर कड़ी हरदम ही ढही है
वर्तमान है कीमती पूंजी
भूत यही है भविष्य यही है
पुण्य का क्रेडिट पाप का डेबिट
रब के पास सब खाता बही है
छुप जाओ तुम चाहे ख़ुद से
'उसकी ' आंखें देख रही है
~संध्या
एक धुन सदियों से
गुनगुनाती तुझे
वो है गाती तुझे
सुनाती है तुझे...
एक धुन सदियों से
गुनगुनाती तुझे
वो है गाती तुझे
सुनाती है तुझे...
वो धुन भंवरों ने है चुराई
जाने कैसे
वो धुन यूं बारिशों में खनखनाई
जाने कैसे
इस हवा में सुर छिपे है
बूंदों में स्वर बुने है
बहारें बोलती है
किनारे डोलती है
राज़ दिल में जो छिपे है
आंखों से वो खोलती है
इस देहरी से उस
दहलीज पे बुलाती है तुझे
इश्क ही बस ज़िंदगी है
ये बताती है मुझे
आंखें जादू, हुस्न का तड़का
दिल में इश्क का शोला भड़का
सुनहरी सुबह की रंगत देख के
चांद रात का दिल यूं धड़का
बातों वादों का वो धनी था
जेब से लेकिन था वो कड़का
दिल में वो दबे पांवों आया
न खिड़की न दरवाज़ा खड़का
ग़ज़ल गांव के बाशिंदे दोनो
धूप सी लड़की चांद सा लड़का
आधी नज़्म का पूरा टुकड़ा
किसे सुनाएं अपना दुखड़ा
नई नई दौलत थी उसकी
चलता था वो अकड़ा अकड़ा
नए शहर का काज़ी था वो
नया चोर था उसने पकड़ा
कितने थे वो दर्द छुपाए
हंसती आंखे सुंदर मुखड़ा
गली के रस्ते चौड़े थे सब
दिल का रस्ता सकड़ा सकड़ा
पहन के इक तितली का मुखौटा
जाल बुने वो काला मकड़ा
रियल कौन था ,कौन वर्चुअल
कोई न जाने क्या है लफ़ड़ा
कहे सांझ जीवन में हर कोई
सुख दुख के बंधन में जकड़ा
एक खत
एक मियाद से
आँखो मे लिखा है
एक सच
कई सदियों से
दिल ने कहा है
क्या वो खत तुम पढ़ोगे बताओ ज़रा
क्या वो सच तुम सुनोगे बताओ ज़रा
हां बताओ ज़रा .....
हां बताओ ज़रा .....
क्या लिखा उस खत मे ये
कोई भी न जाने
जो कहा इस दिल ने वो
कोई भी न माने
एक कहानी पुरानी जो
वक़्त ने लिखी थी
उसमे राजा था, रानी
कहीं भी नहीं थी
एक नदी थी जो
सागर को मिलने चली थी
खो गई राह मे
या फिर गुम हो गई थी
जो अधूरी कहानी है सुनाओ ज़रा
दरियाओं को सागर से, मिलाओ ज़रा
हां बताओ ज़रा
हां सुनाओ ज़रा
......
ये जो खत तूने आंखों ही
आंखों में पढ़ा है
तेरे दिल को दिल ने
कुछ कहते सुना है
मेरा छोटा सा घर है,
बसाओ ज़रा
रानी अपने उस घर की
बनाओ ज़रा
जताओ ज़रा
पास आओ जरा
Did you just notice
when the lights faded away
and night waded it's way,
the gleam of stars
the shine of moon
shone the bay
And the mighty skies
answered the pray
when the words
the jibes were thrown our way
so much was said
that wasnt meant to say
a smile fluttered
across the lips
the eyes then twinkled
and made the day
life is a boon
or life is bane?
life is gain
or life is pain?
No one knows
what it holds
in it's fold,
the arcane
or mundane?
If trees could speak
and express their grief
Through the mountains and
through the flowing creeks,
they would beseech
and call upon
the fallen twigs and leaves
long after they are gone
Then autumn would ....
say goodbye
and set the jungle
as if on fire
the spring would then
sneak peek in ...
the colors all over
begin to grin
The melting snow would
sing lullaby
birds chirping lovely song
And the raindrops would
drizzle down
humming pittar-patter
symphonic sound ...
The flowers would bloom
all decked up with plume
The thunder the bolt
leaves all awestruck
as the mother nature
casts away its molt
The meadows adorn
the grass and thorn
The daisies go lovelorn
In the jungles are sworn
the teaks n acorns
The plumeria
the camellias yawn
And ...
the celebration of life
on this planet earth
goes on and on ..
एक नगीने की तरह नायाब हो तुम
ज़िंदगी एक सहरा, शादाब हो तुम
दिलकश भी तुम दिलनाज़ भी तुम
हरदिल हो अजीज़, सरताज हो तुम
एक अरसे से कोई मुलाकात नहीं
किस बात पे हमसे नाराज़ हो तुम
हम तुमसे जुड़े जैसे रूह से' बदन
परिंदा है हम , परवाज़ हो तुम
सफ़र से है हम और सफ़र पे है हम
कि अंजाम ही तुम, आगाज़ हो तुम
Would you care
would you share
all my truths
and all my dares
I know I ask for pretty much
for life aint fair!!
My truth was made a lie
my prudence was
made to die
will you help me hold head high,
for.... life won't spare
All my dreams
would cry and scream
All my thoughts
feel ever forver demean
Will you help them fly so high
for.... life wont debonair
All the willows that
weep in the misty dark
The worn souls wait for the
Noah's ark
Will you sail me through this strife,
for life won't swear
~Sandhya Prasad
मैं कहूं न कहूं
मैं कहूं न कहूं
या कभी
कह न सकूं
हो सके... तो मुझे ....
ख़ामोशी... के शोर में....
सुन लेना!!
कायदों में बंधी
थोड़ी रस्में थी रखी
वायदों में पली
थोड़ी कसमें थी रखी
दिल के तरानों की
दिल के फसानों की
है बुनी..... धुन नई...जानेजां
गुनगुनाऊं कभी
गीत इकरार के ,
हो सके तो मुझे
धड़कनों के शोर में ...
सुन लेना !
जिरहों में जो ढली
ख्वाहिशें थी वो छली
बिरहों में जो पली
ख़्वाब की वो डली
तेरे इनकारों की
मेरे इकरारों की
है लिखी नज़्म ये जानेजां
गुनगुनाऊं कभी
ग़ज़ल ये प्यार की
हो सके तो मुझे
लफ्ज़ों की डोर में....
बुन लेना!!