12 March 2021

तू ही ख्वाहिश

 तू ही ख्वाहिश ...आजमाइश 

तू बहाना है ...

ख्वाबों के ज़रिए यूं तुझ में

आना जाना है ....


बादलों में ...

छुप के रहती बूंदे चाहत की ...

बरसे झमझम... बारिशों  में

बूंदे राहत की ....

मेरी पलकों से फिसलकर  

अधरों.... में समाना है ...

ख्वाबों के ज़रिए यूं तुझ में ....

आना जाना है ...










3 comments:

yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 13 मार्च 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

KUMMAR GAURAV AJIITENDU said...

सुंदर ख्वाब

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

हर सूं तू ही तू है । अश्कों में या हों फिर ख्वाब । खूबसूरत एहसास