14 March 2021

कौन मेरा मेरा क्या तू लागे ?

शब्दों के बदन नहीं होते

और

नही होती रूह मगर ये फिर भी ज़िंदा रहते है हमारे ज़ेहन में....

जैसे ... कुछ हादसे गुज़र जाने पे भी नही गुज़रा करते...
बस वैसे ही मैं भी तुम पे गुज़रा हुआ ऐसा ही एक हादसा हूं...
मैं गुज़र जाऊंगी और
एक दिन
शायद तुम भी...
मगर
मेरे शब्द ... मेरी कविताएं... मेरे गीत... किस्से है तुम्हारे...
वे यहीं रहेंगे -हमेशा
हमेशा के लिए !!!

1 comment:

रेणु said...

वाह संध्या जी, अनुराग से भरे हृदय के अनमोल भाव मन को छू गए। हार्दिक शुभकामनाएं इस भावपूर्ण लेखन के लिए🙏🙏