तू ही ख्वाहिश ...आजमाइश
तू बहाना है ...
ख्वाबों के ज़रिए यूं तुझ में
आना जाना है ....
बादलों में ...
छुप के रहती बूंदे चाहत की ...
बरसे झमझम... बारिशों में
बूंदे राहत की ....
मेरी पलकों से फिसलकर
अधरों.... में समाना है ...
ख्वाबों के ज़रिए यूं तुझ में ....
आना जाना है ...
3 comments:
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 13 मार्च 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सुंदर ख्वाब
हर सूं तू ही तू है । अश्कों में या हों फिर ख्वाब । खूबसूरत एहसास
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