तुम पे दिल हारी हूँ ,
सुनो, मैं तुम्हारी हूँ!
हाँ,
हाँ ,मैं तुम्हारी हूँ !
रतजगों में
तू ही तू है
ख़्वाहिशें है जवाँ
आहटों में
होता है मुझको
आने का तेरे गुमाँ,
तुझ पे वारी हूँ।
हाँ,
हाँ ,मैं तुम्हारी हूँ !
दिन सुबह से
धुआँ उड़ाए
शाम का है समां !
रात भर है
चाँद तनहा ,
तनहा है आसमाँ !
तनहा , बेचारी हूँ।
हाँ,
हाँ ,मैं तुम्हारी हूँ !
नब्ज़ धीमे
धीमे धड़के
साँस - साँस धुआँ !
इश्क़ मेरा
था फीका फीका ,
अब फिरोज़ी हुआ !
अधूरी हूँ, सारी हूँ।
सुनो, मैं तुम्हारी हूँ।
No comments:
Post a Comment