2 September 2017

तुम पे दिल हारी हूँ

तुम पे दिल  हारी हूँ ,
सुनो, मैं तुम्हारी हूँ
हाँ
हाँ ,मैं  तुम्हारी हूँ !


रतजगों में 
तू ही तू है 
ख़्वाहिशें   है जवाँ  
आहटों में   
 होता है मुझको 
 आने  का तेरे गुमाँ
 तुझ  पे वारी हूँ। 
हाँ
हाँ ,मैं  तुम्हारी हूँ


दिन सुबह से 
धुआँ  उड़ाए 
शाम का है समां !
 रात  भर है  
चाँद तनहा ,
तनहा है आसमाँ !
तनहा , बेचारी  हूँ।  
हाँ
हाँ ,मैं  तुम्हारी हूँ


नब्ज़ धीमे
 धीमे धड़के 
साँस - साँस  धुआँ !
इश्क़ मेरा 
था  फीका फीका
अब   फिरोज़ी हुआ
अधूरी हूँ,  सारी हूँ। 

सुनो,  मैं तुम्हारी हूँ। 

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