जो उधड़ें से रिश्ते है
जो उधड़ें से रिश्ते है
आ उनको हम सी ले
जो किश्तों में साँसें है
आ उनको हम जी ले
इसक की जमीं पे
ज़माने का पहरा
इसक के शहर में
कहाँ कोई ठहरा
न रुका चाँद शब भर
है बादल भी सीले
यक़ीं मुझ को कि
अपना रिश्ता है गहरा
तेरी आँखो का हूँ मैं
कोई ख़्वाब सुनहरा
न फिसलें ये नज़र से
आ पलकों को सी ले
#sandhya
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