14 May 2017

जो उधड़ें से रिश्ते है


जो उधड़ें से रिश्ते है 
आ उनको हम सी ले 
जो किश्तों में साँसें है 
आ उनको हम जी ले  

इसक की जमीं पे 
ज़माने का पहरा 
इसक के शहर में 
कहाँ कोई ठहरा 
न रुका चाँद शब भर 
है बादल भी सीले 

यक़ीं मुझ को कि 
अपना रिश्ता है गहरा 
तेरी आँखो का हूँ मैं 
कोई ख़्वाब सुनहरा 
न फिसलें ये नज़र से 
आ पलकों को सी ले 
#sandhya

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