19 May 2017

इश्क़ का समुन्दर


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समुन्दर ....
इश्क़ का .....समुन्दर 
दिल में उठें 
दर्द का ....बवँडर 

ख़ाली है ये आँखें मेरी 
अश्क़ सारे बह गए 
ग़ुम सा है   ये आस्माँ 
चाँद तारे रह गए 
चुप सा है 
कल था जो 
लफ़्ज़ों का .....सिकंदर 

इश्क़ है मेहर रब की 
सूफ़ी सारे कह गए 
पर मकाँ ख़्वाहिश के 
एक पल में ढह गए 
रोया है 
साथ मेरे 
इश्क़ का .......क़लंदर    #sandhya





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