वो क्या जाने क्या है ?
मुझसे जो पूछो
वो ख़ुदा की अता है !
उसकी आँखें समुन्दर
जिस्म जैसे लहर सा,
काली सी रातों की
उजली सहर सा ।
यहाँ है ,वहाँ है ,
क्या जाने कहाँ है ??
मुझसे जो पूछे
उस ख़ुदा की कोई
ख़ूबसूरत ख़ता है !
जहाँ चलना चाहूँ
वो कोई डगर सा,
रहना मैं चाहूँ
वो कोई शहर सा ।
चला है, रुका है
वो इक कारवाँ है
मुझसे जो पूछे।
इस सफ़र का कोई
ख़ूबसूरत पता है !
No comments:
Post a Comment