बूँदो को आँखो में ख़्वाब सजा लूँगी
ऊँची नीची टेढ़ी मेढ़ी
राहें जब भी मुड़ती है
मंज़िलो से तेरी मेरी
बातें कुछ ये करती है
रास्तों से मंज़िल से
बातें मैं बना लूँगी
बूँदो को आँखो में
ख़्वाब सजा लूँगी
धूल धूल क़तरा क़तरा
जिस्म जिस्म ढलती हूँ
साँस साँस लम्हा लम्हा
मैं तो पिघलतीं हूँ
साँसों से इन जिस्मों में
आग एक लगा लूँगी
बूँदो को आँखो में
ख़्वाब सजा लूँगी
Sandhya
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