15 April 2017

सावन की बारिश से बूँदे चुरा लूँगी


सावन की बारिश से बूँदे  चुरा लूँगी 
बूँदो को आँखो में ख़्वाब सजा लूँगी 

ऊँची नीची टेढ़ी मेढ़ी 
राहें जब भी मुड़ती है 
मंज़िलो से तेरी मेरी 
बातें कुछ ये  करती है 
रास्तों से मंज़िल से 
बातें मैं बना लूँगी 
बूँदो को आँखो में 
ख़्वाब सजा लूँगी 

धूल धूल क़तरा क़तरा 
जिस्म जिस्म ढलती हूँ 
साँस साँस लम्हा लम्हा 
मैं तो पिघलतीं हूँ 
साँसों से इन जिस्मों में 
आग एक लगा लूँगी 
बूँदो को आँखो में 
ख़्वाब सजा लूँगी   

Sandhya




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