सच ही तो है - चाहे जितनी चाँदी आ जाए बालों में या सोना आपकी बत्तीसियों में - रहते तो आप बच्चे ही है ।
हालाँकि अब वो सोलह साल मायने नहीं रखती लेकिन अपने बेटे को बढ़ते हुए देख रही हूँ - बेटी उसी शोख़ी शरारत और चंचलता से लबरेज़ है । कुल मिला कर ढाक के तीन पात - यानि आप आ गए वही उस कॉलेज के दौर में - तरुण अवस्था में ।
ये दिल की बातें कहाँ है छुपने वाली
करूँ मैं क्या ?
हसीं हूँ मैं उमर है कमसीन बाली
सहेली कह रही मुझसे
पलटकर देख रेहाना
वो तुझको देखती है आँखें चश्मे वाली
कॉलेज की सीढ़ीपर बैठ के
वो गिटार पे अपने
बजाई है धुन उसने 'पुरानी जींस' वाली
अपनी खिड़की से जब जब
मैंने यूँ झाँक के देखा
नज़र आई है वो बाइक नीली वाली
वो करना bunk लेक्चर उसका
अपने यारों के संग
पलटना पन्ने देख मुझे फिर ख़ाली ख़ाली
उतर आया है देखो चाँद
मेरे ख़्वाबों में फिर से
हुई रूमानी कहानी परियों वाली
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