यूँ पुकारों मुझे ....ऐ बहारों ज़रा
दो सदा .. दो सदा ..
एक आवाज़ हूँ ...साज़ की राग हूँ
दो सदा .. दो सदा ..
बूँद थी बिखर गई
फिर सँवर सँवर गई
पानियों में पली
आसमां से चली
ऐ घटाओं ज़रा ... दो सदा .. दो सदा
उस खुदा की भूल हूँ
राहों की मैं धूल हूँ
ज़मीन से मुझे उठा
पलकों पे ले सजा
आसमानो ज़रा .. दो सदा ... दो सदा
याद मुलाक़ात है
दिल में कोई बात है
राज तुम खोलों ना
आँखों से बोलों ना
ऐ सनम तुम ज़रा... दो सदा .. दो सदा
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