7 September 2015

खत तुम्हे था लिखा


खत तुम्हे था  लिखा 
खत में मैंने लिखा 
चाहा मैंने तुम्हे 
क्यों इस तरह , बेवजह  .... 


मेरे लब न हिले 
तेरे लब न हिले 
आँखों ही आँखों में 
चल पड़े थे सिलसिले 
क्या था तुझमे दिखा 
ये है मैंने लिखा 
चाहा मैंने तुम्हे 
क्यों इस तरह , बेवजह  .... 


लफ्ज़ तीन मिले 
बड़े ज़हीन मिले 
सोचकर ही जिन्हे 
बहुत सुकून मिले 
लफ्ज़ ये - तू सीखा 
ये है मैंने लिखा 
चाहा मैंने तुम्हे 
क्यों इस तरह , बेवजह  .... 

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