जबसे उसे
ये अंबर मिला,
नीला , नीला अम्बर मिला
दीवानी हुई है …… ये पागल हवा .......
आँखों को मीचे
सपनो के पीछे
भागे यहां से वहाँ
दीवानी हुई है …… ये पागल हवा .......
खुशबु के धागे
पैरो में बांधे
उलझे यहां फिर वहाँ
दीवानी हुई है …… ये पागल हवा .......
शाम सवेरे
आँचल सुनहरे
लहराती फिरती कहाँ ………
दीवानी हुई है …… ये पागल हवा .......
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