रेत पर छोड़ कर यूँही, निशाँ तुम चल दिए।
राह में छोड़कर मुझको , कहाँ तुम चल दिए ?
कुछ पहर की
सहर ही होती नहीं।
कुछ शहर में
बसर ही होती नहीं।
इस शहर के सभी राही, रहनुमां चल दिए।
राह में छोड़कर मुझको , तुम कहाँ चल दिए ?
कुछ डगर पे
सफर होते ही नहीं।
कुछ मकानो में
घर होते ही नहीं।
इस डगर पे भला क्यों हम जानेजाँ चल दिए।
राह में छोड़कर, तुम कहाँ चल दिए ?
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