4 September 2015

रेत पर छोड़ कर , यूँ निशाँ चल दिए।



रेत पर छोड़ कर  यूँही,   निशाँ तुम चल दिए। 
राह में छोड़कर मुझको ,  कहाँ तुम चल दिए ?

कुछ पहर की 
सहर ही होती नहीं। 
कुछ शहर में 
बसर ही होती नहीं। 
इस शहर के  सभी  राही, रहनुमां चल दिए। 
राह में छोड़कर मुझको , तुम कहाँ चल दिए ?

कुछ डगर पे 
सफर  होते  ही नहीं।  
कुछ मकानो में 
घर  होते  ही नहीं।
इस डगर पे  भला क्यों हम  जानेजाँ चल दिए।  
राह में छोड़कर, तुम कहाँ चल दिए ?

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