मेरी सहर तू,
रब की मेहर तू ,
तू है, मेरा ख़ुदा !
हाँ, .... मेरा ख़ुदा !
बादलो में सुर्ख़ सूरज
यूँ है लिपटा हुआ,
तेरी पलकों में जहां ये
ज्यूँ है सिमटा हुआ।
काली रातो के रँगो में
ये चाँद है जो, रंगा हुआ,
चाँद की वो, बिंदी वाली
तू है सुनहरी, वो सुबह।
इस फलक से औ' ज़मीन से
है तू सबसे जुदा
रब से जो, मांगी थी मैंने ,
तू है, वो दुआ।
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