बन गया है तू, मेरे जीने की वजह
ये क्या हुआ है ?
ये क्यों हुआ है "
बस इतना पता है
बन गया है तू ही
मेरे जीने की वजह।
रात चांदनी हो
फिर सांवली सुबह हो
मुझपे, हँसने लगे है
फूल यूँ ही बेवजह ।
आ भी जाओ हमदम
राह तक -तक, मैं हारी
जाऊँ तुम पे, वारी वारी
मुझको दो न यूँ तुम, सज़ा।
बन गया है तू,
हाँ, हाँ ,बन गया है तू,
मेरे जीने की वजह।
No comments:
Post a Comment