4 February 2024

चांद सा तारों के उन हिजाबों में

 



चांद सा तारों के उन हिजाबों में 

किताबों में सूखे  गुलाबों में 

मेरे होने में वो शामिल है यूं

जैसे जीना है शामिल रिवाज़ों में 



मैं जगाती

सोई सी रात में

यूं चल पड़ी मैं

तेरे साथ में 

लेकर यूं आंखों में सपने कई

थामे हाथ तेरे हाथ में 

उन राहों में है जैसे तिलिस्मात कई

रास्ते है पुराने पर मंजिल नई 

एक जादू की नगरी सी रातों में

जगाता है शहर तेरी आंखो में 

हिज्र के   जर्द  और सर्द मौसम में 

जलता  है अलाव तेरी यादों में 





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