चांद सा तारों के उन हिजाबों में
किताबों में सूखे गुलाबों में
मेरे होने में वो शामिल है यूं
जैसे जीना है शामिल रिवाज़ों में
मैं जगाती
सोई सी रात में
यूं चल पड़ी मैं
तेरे साथ में
लेकर यूं आंखों में सपने कई
थामे हाथ तेरे हाथ में
उन राहों में है जैसे तिलिस्मात कई
रास्ते है पुराने पर मंजिल नई
एक जादू की नगरी सी रातों में
जगाता है शहर तेरी आंखो में
हिज्र के जर्द और सर्द मौसम में
जलता है अलाव तेरी यादों में
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