ये आंखें कहे
जुबान कहे
दिल कुछ कहे तू सुन
फाया कुन ....फाया कुन ..फाया कुन
तू राग कोई
मैं तेरी रागिनी
तू धुन है नई
मैं ग़ज़ल पुरानी
मैं तेरा काफिया
तू रदीफ है मेरा सुन
फाया कुन ....फाया कुन ..फाया कुन
तू ख़्वाब कोई
ख्वाहिश मैं नई
तारे जो तोड़ ले
हूं मैं चाह वही
सांसों में , मेरी
धड़कन तू अपनी बुन
नस नस में बजता फाया कुन फाया कुन
तू है आस कोई
आभास कोई
अहसास कोई
विश्वास कोई
लगी मन को मेरे
तेरे मन की धुन
फाया कुन फाया कुन फाया कुन
#main_जिंदगी
No comments:
Post a Comment