12 January 2024

तुम बिन क्या है जीना..



 







नुक्कड़ पे बैठे 

वो मिल गया मुझे उस दिन

सिगरेट फूंकते हुए बोला मुझसे 

कैसी हो सांझ, मेरे बिन


बोला वो क्या बातें करोगी

साथ में मेरे क्या चाय पियोगी?

बातें हम दो चार करेंगें

जाने फिर किस जनम मिलेंगे


मैं थोड़ा  सा सकुचाई थी

थोड़ा सा मैं घबराई थी 

सोच के बीती बातें, मेरी

आंखें भी कुछ भर आई थी


फ़िर मैं हौले से हंस दी थी 

नज़रों से हामी भर दी थी 

बरसों बाद आज संग उसके

चार क़दम फिर संग चली थी


हँसा... वो बोला... तुम अब भी छोटी

हो गई हो तुम कितनी मोटी

कौन सा चावल कौन सी सब्जी

खाती हो तुम कितनी रोटी


मैं बोली... अब फिर न सताओ

तब कितना रुलाया, अब न रुलाओ

याद दिला यूं बातें पुरानी

और मुझे तुम अब न जलाओ


अच्छा.....छोड़ों ...वो बातें पुरानी

सुनाओ न अपनी, जो है कहानी

कैसा है वो, राजा तुम्हारा

जिसके सपनों की तुम हो रानी


क्या पूरे हो गए, सब ख़्वाब तुम्हारे

मिले तुम्हे क्या, वो चांद सितारे?

नदिया थी तुम, कल कल बहती

क्या मिल गए तुमको, दरिया और किनारे ?


पलकों पे  वो, क्या है रखता?

दिल में तुम्हारे, क्या है वो बसता?

चुनता था मैं , तेरी राहों के काटें 

क्या वो  भी राहों के, काटें चुनता ?



मैंने कहा ...ये बेमतलब है

इन बातों का... न कोई सबब है 

तुम थे तब और वो, अब है 

सच कहूं तो मेरा वो रब है 


हां,पलकों पे मुझको वो रखता है

मेरे संग वो सोता, संग उठता है

चोट मुझे कभी, अगर लगे तो,

दर्द से मेरे वो रो पड़ता है


जाने दो तुम, बीती बातों को 

भूलें आओ , बिसरी यादों को 

बस याद रहे और याद करे हम 

सप्तपदी के, उन सातों वादों को



वो कुछ न बोला,मैं भी चुप  थी 

 वादें चुप थे यादें चुप थी

फिर कभी  मिलेंगे,ये वादा करके

आंसू चुप  थे ,आहें चुप थी !!







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