29 December 2023

समां ये सुहाना











शाम की देख के सूरत भोली 

चांद सितारे करें हंसी ठिठोली


तुनक के जाती रात ने सुबह की

गरम सी धूप की पोटली खोली 


किरणें बिखरी छन्न से ऐसे

केसरी रंग की गजब  रंगोली


फूल खिल गए भंवरे झूमे

खाके महुआ  पीपली निबोली 


हवा भी जैसे हुई बावरी

बादल की जब निकली टोली


झूम झूम के इठलाई जब

धरा ने ओस की मदिरा पी ली 

3 comments:

yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" शनिवार 30 दिसम्बर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

yashoda Agrawal said...

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सुशील कुमार जोशी said...

वाह