20 December 2023

बचपन की पोटली

घुली जेहन में यादों की वो 

खट्टी मीठी गोली

उमर ने  पचपन में जब जब

बचपन की पोटली खोली


आपा धापी, मार गुलाटी

घर आंगन में खेलती पलटन

कोई बुलाता गुल्लू कहके

था, कोई बुलाता ढक्कन !!

यादों ने यादों में 

कैसी मीठी मिसरी घोली 

उमर ने  पचपन में जब जब

बचपन की पोटली खोली 



ढीठ, अनाड़ी, अल्हड़,पाजी

थे कितने, कैसे विशेषण !

सनकी झक्की, कहते लुच्ची 

थे जान के सब वो दुश्मन !!

कोरे से काग़ज़ के मन पे,

यादों की बनी रंगोली !

उमर ने  पचपन में जब जब

बचपन की पोटली खोली!


सैर सपाटा, धूम धड़ाका

वो फिल्मों का एडिक्शन!

मुंगेरीलाल से सपने देखें

था Don Quixote ( डॉन  किहोत्ते) सा कमिटमेंट !

नादां से छुटपन ने की थी 

मस्ती , चुहल , ठिठोली!

उमर ने  पचपन में जब जब

बचपन की पोटली खोली


अक्कड़ बक्कड़, लाल बूझक्कड़

और थे  किस्से ऐसे, पचपन!

हम पिटे पिटाये, लुटे लुटाए 

और दोस्त बनाए छप्पन !

आज न जानें क्यों यादों ने मन से

खेली आँखमिचौली!

उमर ने  पचपन में जब जब

बचपन की पोटली खोली!


आटा बाटा,  खाया चांटा

हम गए पढ़ाए जबरन !

फेल हुए जब सात क्लास में

पिता की पहुंच से मिला हमें प्रमोशन!

तन्हाई में  यादें सारी 

बन गई सखी सहेली !

उमर ने  पचपन में जब जब

बचपन की पोटली खोली!




संध्या

२०/१२/२३

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