ऐ चांद,
सिरहाने बैठें है वो,
सुनो आज न आना तुम ...
गर आ जाओ,
चुप ही रहना,
कुछ भी कहने से
बाज़ आना तुम ...
कैसे नैना
इज़हार करेंगें
जब तुम आंखों में जागोगे ?
कैसे पिय से प्यार करेंगें
जब तुम टुकटुक यूं ताकोगे ?
कैसे बातें
ये होंठ करेगें ,
जब तुम खिड़की से झांकोगे ?
बाहें कैसे बाहें थामेगी
जब धम धम बाम पे नाचोगे?
कैसे सांसों पे
गीत लिखेंगे
जब राग चांदनी गाओगे ?
कैसे जन्मों के
मीत बनेंगे
जब मिलन में टांग अड़ाओगे ?
बातें सारी अब
समझ गए तुम,
पार उफ़क़
अब जाना तुम !
जब तक मैं न
गुहार लगाऊं ,
लौट यहां
मत आना तुम
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