सुराखों से झांके
ये धूप की आंखें
ये ढूंढें है किसको
किसे ये बुलाए?
ये चौखट पे चिपकी
दीवारों से लिपटी
ये खिड़की को चूमे
छतों पे ये घूमें
किनारों से छिपकर
दरारों से घुसकर
ये किसको जलाएं
किसे ये सताएं?
मुंडेरों पे बैठी
ये गप्पे लड़ाए
हवाओं संग जाने
ये क्या गुनगुनाएं
यूं खेतों में बिछकर
शाखों से सरककर
फसलों को धानी
चुनर ये ओढ़ाए
बर्फ पे टहलकर
नदी से निकलकर
ये लहरों संग खेलें
ये थिरकें ये गाए
सुबह केसरी रंग
दिन सुनहरा सा चंदन
सांझ को धूप
सिंदूरी उबटन लगाए
ये सूरज की धाती
ये किरणों की पाती
ये अंबर से किस किस के
संदेस लाए
ये तितली की पांखी
ये जुगनू की भाती
धरा के नयन में
ज़िंदगी बन टिमटिमाएं
2 comments:
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 03 मई 2023 को साझा की गयी है
पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
वाह
बढ़िया
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