30 April 2023

मैं ब्रह्मांड - मैं रोज़ ही बदलती हूं



आभा प्रकाश

ज्योति प्रभास 

शुभ्र किरणों का जाल बुनती हूं

तम तिमिर

अंधेरे की स्याही मलती हूं 

हां..

मैं ब्रह्मांड 

मैं रोज़ ही बदलती हूं


सूरज मिहिर

चंदा  नवरत 

लिए कोख में अपने चलती हूं

आग बर्क

बिजली बर्फ

तूफ़ान आंधी  सांस सांस ढलती हूं 

हां..

मैं ब्रह्मांड 

मैं रोज़ ही बदलती हूं


सन्नाटे शोर

कोहराम मौन 

शब्द  नाद में बदलती हूं

वेग गति

अग्नि अनल

वायु दावानल में पलती हूं 

हां..

मैं ब्रह्मांड 

मैं रोज़ ही बदलती हूं



आशा अमर

उदासीनता ज़हर

वचन सत्य ये कहती हूं 

जीवन जटिल

मृत्यु अटल

उपसंहार ये लिखती हूं 

हां..

मैं ब्रह्मांड 

मैं रोज़ ही बदलती हूं






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