1 May 2023

धूप

 सुराखों से झांके

ये धूप की आंखें

ये ढूंढें है किसको

किसे ये बुलाए?


ये चौखट पे  चिपकी

दीवारों से  लिपटी

ये खिड़की को चूमे

छतों पे ये घूमें

किनारों से छिपकर

दरारों से घुसकर

ये किसको जलाएं

किसे ये सताएं?


मुंडेरों  पे बैठी

ये गप्पे लड़ाए

हवाओं  संग जाने

ये क्या गुनगुनाएं 

यूं खेतों में बिछकर

शाखों से सरककर 

फसलों को धानी 

चुनर ये ओढ़ाए 

 

बर्फ पे टहलकर

नदी से निकलकर

ये लहरों संग खेलें

ये थिरकें ये गाए

सुबह केसरी रंग 

दिन सुनहरा सा चंदन

सांझ को धूप 

सिंदूरी उबटन लगाए


ये सूरज की धाती 

ये किरणों की पाती

ये अंबर से किस किस के 

संदेस लाए 

ये तितली की पांखी

ये जुगनू की भाती

धरा के नयन में

ज़िंदगी बन टिमटिमाएं 



2 comments:

yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 03 मई 2023 को साझा की गयी है
पाँच लिंकों का आनन्द पर
आप भी आइएगा....धन्यवाद!

विभा रानी श्रीवास्तव said...

वाह
बढ़िया