थोड़ा सा
करार
थोड़ा सा
खुमार
धड़कनों के शहर में
ढूंढे तुझको....मेरा प्यार
कोई दिन कहीं ढले
स्याह रात कहीं चले
धूप की दस्तकों में
चांदनी की आहटों में
सुबह सवेरे
सांझ अंधेरे
ढूंढे तुझको....मेरा प्यार
दरके दरके आईनो में
टूटें ख्वाबों के मायनो में
बढ़ गए इन दायरों में
छिन गए उन आसरों में
गुमशुदा हैं
गमज़दा हैं
ढूंढ रहे है तुझको... यार
यादें नहीं ये आयतें है
दिल की अब रवायतें है
इश्क़ ये इबादत हुआ है
तू मेरी आदत हुआ है
तू खुमारी
बेकरारी
आजा मिल जा एक बार
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