चलो न,
आज वक्त है मिला तो,
कमीज़ों के टूटे उन बटन को
फिर से मैं टांक देती हूं ।
वो जो आधा लिख रखा था
बीतें महीनों का हिसाब,
वो हिसाब आंक देती हूं।
सुनो न
सर्दियां आ रही है
वो मफलर, टोपी सारे,
स्वेटर जैकेट निकाल देती हूं।
पुराने हो चले सब,
सुनो नए कुछ रुमाल
निकाल लेती हूं
देखो तो,
भौंहों में उग गए है,
कुछ सफ़ेद बाल ये,
लाओ वो बाल
आज, मैं निकाल देती हूं।
ये जो गूंच बन पड़ी है
मूछों में तुम्हारी
इन गूंचो को
करीने से काढ़ देती हूं।
ये जो चश्मा है तुम्हारा
लिया था साल २०१२,
फ्रेम कांच इसका तो
सब कुछ ही चुक गया है
तुम्हे नया लुक आज देती हूं
चलो लेंसकार्ट को आज
एक कॉल देती हूं
वो कागज़ और वो किताबें
वो ख़त वो लिफ़ाफे
संग चाय की चुस्कियों के
यादों को वादों को
जेहन में उतार लेती हूं
इक recall ले लेती हूं
इस उम्र के सफ़र में
गुजरे थे कितने मौसम
बीती सर्दियां और सावन
तेरे ही संग साजन,
हर एक पल को जैसे
एक साल सा जी लेती हूं।
सच है
कबसे बुला रहे है
आसमान से फरिश्ते,
मगर तुम्हारी खातिर
भगवान के बुलावे को
हर बार टाल देती हूं
#बस_यूॅं_ही
#Early_morning_musings
#मै_ज़िंदगी
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