29 June 2022

साजन ये तेरी उंगलियां

 सांसों में दौड़े बिजलियाँ

साजन तेरी ये उंगलियां 


माथे को छूकर गुज़रे वो 

बालों में महके गजरे जो

कानो पे सर्र से सरके क्यों

साजन तेरी ये उंगलियां 


देह के  कितने मंज़र वो

पहाड़  थे समंदर थे वो

नदी सी वो छूकर  गुजरे ज्यों 

साजन तेरी ये उंगलियां 


 जिस्म में दर्रे है जो

 पहरे  लगे वहां पे हो

 वहीं पे जा के ठहरे क्यों

 साजन तेरी ये उंगलियां 







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