ये मेहंदी अपने हाथों पे लगा के जो रखी है
तेरी यादों की लोबान भी जला के जो रखी है
उन रंगों में
उन यादों में
लोबान के धुएं में बस तेरी ही कमी है
ये मेंहदी...
ये दिल बंजारा.....ये है आवारा
भटके ये रात दिन
कोई ठौर न ठिकाना
मंज़िल न तेरे बिन
आवारापन...
बंजारापन ...
राहों में मेरे दिल के इक धूल सी जमी है
ये जादू टोना आंखों से बोना
तिलिस्म कैसा, सुन
न जागना न सोना
बस लगी है तेरी धुन
है शोखियां
मदहोशियाँ
सूखी सी इन झीलों में अभी भी इक नमी है
तुझसे होकर तुझ में यूं गुजरना
ज्यों धरती और गगन
रग रग में तेरा बहना
मेरा थिरकना तत् तत् थून
नजदीकियां
सरगोशियां
दुनिया ये मेरी तेरी बाहों में ही थमी है
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