29 June 2022

जो करना था उसे, कर गया

  जो करना था उसे, कर गया 

 वादों से फिर  वो मुकर गया


बातों से अपनी रग रग में मेरे,

 भर कैसा वो, ज़हर गया 


मेरा जिस्म उसका मकान था

छोड़  मेरा वो घर  गया 


वो वक्त था चलता रहा 

लम्हा था मैं, सो ठहर गया 


खुशियों का न  सूरज उगे

दे ऐसी  वो सहर गया 


बची कहां कोई "ज़िंदगी"

मार मुझे , मुझमें वो मर गया 


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