28 April 2022

तेरी आवाज़ से छिल जाती हूं

 सुनो,

अपनी आवाज़ से कहो

 कुछ मुलायम भी रहे...

कि 

छिल जाता है 

तेरी आवाज़ से 

मेरे बदन का लिबास


#बस_यूँ_ही

5 comments:

अनीता सैनी said...

जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(३०-०४ -२०२२ ) को
'मैंने जो बून्द बोई है आशा की' (चर्चा अंक-४४१६)
पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर

Sandhya Rathore Prasad said...

आभार अनिता जी

जिज्ञासा सिंह said...

यथार्थ का सजीव चित्रण ।मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है ।

Gajendra Bhatt "हृदयेश" said...

सुन्दर प्रस्तुति!

Anuradha chauhan said...

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।