14 February 2022

कहो जो तुम चले हम वहां

कहो जो तुम चले, हम वहां 

जहां मिले ये जमीं आसमां 


दिल की तरंगे उड़ती पतंगे 

काबू में रहती  कहां 

थाम लो तुम  जो दिल की ये डोरी 

बाहों में ले लूं आसमां 

कह दो न एक बार  जानेजां 


लम्स के संदल, यादों में हरपल

बुझे जले क्यों धुआं धुआं 

छू लो मुझे तुम ए जानेजाना 

जलती रहूंगी मैं बन शमा

कह दो न एक बार  जानेजां 


कहो जो तुम चले, हम वहां 

जहां मिले ये जमीं आसमां 


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@saanjh_savere

8 comments:

yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 16 फरवरी 2022 को साझा की गयी है....
पाँच लिंकों का आनन्द पर
आप भी आइएगा....धन्यवाद!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत खूब । 👌👌👌

Sandhya Rathore said...

बहुत बहुत आभार संगीता जी

Sandhya Rathore said...

आभार यशोदा जी

मन की वीणा said...

वाह!
उम्दा सृजन।
बेहतरीन श्रृंगार भाव।

अनीता सैनी said...

बहुत ही सुंदर।
सादर

Sandhya Rathore Prasad said...

आभार आपका

Sandhya Rathore Prasad said...

बहुत बहुत आभार अनीता जी