13 February 2022

कबसे करती हूं मैं

 कबसे ....करती हूं मैं 

खुद से  तेरी  ...बातें.....

आए

 क्यों न दिन वो 

ढल गई जिनकी ...

शामें रातें ....


तन्हा किसी  सफ़र पे

निकली थी मैं  तो...

 पहले कभी ...

राहें... 

चली थी कितनी

मिली न मंज़िल...

 फ़िर भी कभी ...

लिए कुछ "पर" भी

रही कुछ "घर" भी 

मिला न अंबर वो

हुए न  मेरे ...

वो आहाते....

आए क्यों न ...

दिन वो

ढल गई जिनकी ...

शामें रातें ....



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