कहो जो तुम चले, हम वहां
जहां मिले ये जमीं आसमां
दिल की तरंगे उड़ती पतंगे
काबू में रहती कहां
थाम लो तुम जो दिल की ये डोरी
बाहों में ले लूं आसमां
कह दो न एक बार जानेजां
लम्स के संदल, यादों में हरपल
बुझे जले क्यों धुआं धुआं
छू लो मुझे तुम ए जानेजाना
जलती रहूंगी मैं बन शमा
कह दो न एक बार जानेजां
कहो जो तुम चले, हम वहां
जहां मिले ये जमीं आसमां
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@saanjh_savere
8 comments:
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 16 फरवरी 2022 को साझा की गयी है....
पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत खूब । 👌👌👌
बहुत बहुत आभार संगीता जी
आभार यशोदा जी
वाह!
उम्दा सृजन।
बेहतरीन श्रृंगार भाव।
बहुत ही सुंदर।
सादर
आभार आपका
बहुत बहुत आभार अनीता जी
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