31 January 2022

Brij ki holi

 


सुन ओ जशोदा नंदन   कान्हा! 
आज हमें न   रंग  लगाना। 
 रंग रंग जो देह  पे बिखरे 
सखियाँ देख फिर देंगी ताना। 


सुन सुन ओ  जशोदा मैया !
 राधा की ये राम दुहाई,
तेरे किसना ने ग्वालो  संग 
 नीली पीली   मेरी चुनरी  भिगाई 


कुछ न सुनी, मोहे  रंग दिन्हो 
देती रह गई मैं तो दुहाई  
 फिर मैं भी हुई ऐसी बावरी  
रंग गई उस में,सुध बुध  बिसराई   


दांव लगाया  मैंने खुद को 
हारी  खुद को   तुम को जीती 
जब देखूं बस कान्हा को  देखूं 
नयनों  में  बस किसना  की  प्रीति 


राधा  रंग जो उजला उजला 
इसपे  श्याम रंग अब  तुम डारो 
 प्रेम रंग में मोहे  डुबोकर 
  भवसागर से राधा को   तारो 
 

संध्या राठौर 

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