सुनो..
यदि मैंने कभी तुमसे
ये कहा हो
- हां ...तुमसे प्रेम करती हूं मैं !
या फिर....
- तुम्हारे प्रेम में हूं मैं !!
तो सुनो ..
बिलकुल यकीं मत करना
मुझ पर !
क्योंकि ...
किसी से प्रेम करने
के लिए
जरूरी है,
हम, स्वयं से प्रेम करे !
और
मुझे,
खुद से कभी,
प्रेम हुआ ही नहीं !!
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