22 August 2021

तुम्हारी बातें तुम सी जाली तो है

 सुनो

 ये जो कुछ रातें है न,

थोड़ी खाली सी है

आबनूसी काली सी है!


कहती है वे,

तुम्हारी यादों के

शज़र के ही

टूटी  कोई डाली  ही  है!


तुम गर कह दोगे तो

शायद ये

गुज़र जाएगी ये

जैसे गुज़र गए थे

तुम जिंदगी से


वैसे भी

सच कहां है ये

तुम सी

तुम्हारे वादे

तुम्हारी बातों सी

जाली ही तो है

1 comment:

yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 23 अगस्त 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!