सुनो
मैंने चांद की
पीठ पे कुछ लिख
छोड़ा है
और
छोड़ आई हूं
चांद की आंखों में
अपनी दोनो आंखें
..
अपनी सभी उंगलियां
चांदनी को दे आई हूं
..
उस पूरे चांद की रात
वो चांद
मेरी आंखों से
जी भर देखेगा तुम्हे
और
चांदनी मेरी उंगलियों से
तुम्हें प्यार किया करेंगी
..
पूनम की रात
छत पर
आओगे न तुम?
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