आधे जो... वादे है
पूरे हो ...इरादें है
इक छोटा मकां सा हो
तारों का जहां सा हो
मकां ये घर हमारा हो
दिल के ये इरादें है
आधे जो ...वादे है
पूरे हो ... इरादे है
रंगों का समां सा हो
सुनहरा तन जवां सा हो
मिलन ये कहकशां सा हो
फलक है हम सितारें है
आधे जो ....वादे है
पूरे हो ... इरादे है
धड़कन की जुबां सा हो
पलकों से बयां सा हो
तरन्नुम दास्तां सा हो
सांसों के इशारे है
आधे जो... वादे है
पूरे हो ... इरादे है
2 comments:
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 18 फरवरी 2021 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
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