2 September 2020

हां ... कल ही !!

 


मैं (सांझ ) ...

तुम्हारे ख़यालो में कहीं  ...

और

ये सूरज ...

पेड़ो की इन्हीं शाखों में 

उलझ कर 

रह गए थे कहीं कल ...


हां...कल!!

गर याद हो तो ...

मैं ( सांझ) और ये  सूरज,

दोनों ही....

घर, देर से लौटे थे !!

1 comment:

पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा said...

बेहतरीन रचना। क्या बात है।।।।।।
अनेकानेक शुभकामनायें