सुनो...
ख़ामोश रहना
सीख लिया है मैंने,
यहाँ भी और
वहाँ भी!
मगर
तुम कभी मेरी
ख़ामोशियों को पढ़ने की
कोशिश न करना!
बेशुमार ख़ामियाँ है इनमे!
कैसे कहूँ ..
मेरी ख़ामोशियाँ को
न किसी भाषा की समझ है
और न किसी व्याकरण का ज्ञान!
.
.
.
तुम पढ़के भी
समझ नहीं पाओगे उन्हें !
#मैं_ज़िंदगी
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