16 January 2019

मेरा वजूद

क्यूँ रह रह के 
तुम्हारी ऊँगलियाँ -
सिर्फ़ मध्यमा और तर्जनी 
वो सलीक़े से कटे नाख़ून ..
और उनमें दबी 
अधजली सिगरेट 
और 
धुएँ में जलती बुझती 
मेरी ख़्वाहिशें, मेरे ख़्वाब 
और राख सा 
अपना वजूद दिखता है

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