2 November 2018

बूढ़ी आवाज़ें

आवाज़ें जब बूढ़ी होती है 
तो वे ख़ामोश रहने लगती है 
होंठ सिलें रहते है
मगर आवाज़ें चेहरे की
झुर्रियों में
और झुकीं पीठ में
रहने लगती है
काँपते हाथों से 
क़दमों से
सब कहने लगती है
क्या तुम्हें 
काँपते हाथो की 
और लड़खड़ाते क़दमों की 

ज़ुबाँ पढ़नी आती है ?

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