सुबह नहीं है शाम नहीं है
इक पल को आराम नहीं है
कोई नहीं खिड़की दरवाज़े
इस घर में तो बाम नहीं है
रमता जोगी बहता पानी
इश्क़ का कोई नाम नहीं है
मंदिर मंदिर रब को ढूँढूँ
इक में भी तो राम नहीं है
रूहों से रूहों का बंधन
जिस्मों का तो काम नहीं है
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