25 September 2018

सुबह नहीं है शाम नहीं है

सुबह नहीं है शाम नहीं है 
इक पल को आराम नहीं है 

कोई नहीं खिड़की दरवाज़े 
इस घर में तो बाम नहीं है 

रमता जोगी बहता पानी 
इश्क़ का कोई नाम  नहीं है 

मंदिर मंदिर रब को ढूँढूँ 
इक में भी तो राम नहीं है 

रूहों से  रूहों का बंधन 
जिस्मों का तो काम नहीं है 











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