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क्यूँ ...
तलाश है
ये प्यास है ?
लगा के पर
आ अपने घर
उड़ चले .. ये आस है
कोई शहर जो मिले रास्ते में तो
रुक जाएँगे
बह जाएँगे पानियों से ख़ुशबू से घुल जाएँगे
महकीं हुई बहकी हुई ये साँस है
क्यूँ ...
अहसास है
तू पास है
पलकों के दर
पे कर ले बसर
संग चले ... ये आस है
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