पलकों से गिरे हुए
उस एक बाल को
अपनी मुट्ठी पे रख
आँख मूँद कर
एक दुआ माँगी थी मैंने
और फिर
हल्की सी एक फूँक से
उस बाल को
उड़ा दिया था मैंने !
.......
वो दुआ
उस बाल सी ....
कहीं शून्य में
विलीन हो गई ,
फिर कभी न मिलने के लिए ....
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