मेरा वतन आबाद हो
मेरा वतन शादाब हो
अज्ञानता की बेड़ियों को
तोड़ फिर आज़ाद हो
मेरा वतन .....
गंगा की पावन भूमि है
श्री कृष्ण से देवो की भूमि है
गौतम गुरु नानक कबीर
से संतो की कर्मों की भूमि है
स्वर्णिम से काल की बात हो
उस युग का शंख ..नाद हो
मेरा वतन आबाद हो ....
माटी धरा की छूनी है
ऋषियों के माथे की धूनी है
माँ भारती के लालों के
रक्त से रंजित भूमि है
लालाट पे ये साज हो
जैसे हिमालाय ताज हो
मेरा वतन आबाद हो
मेरा वतन शादाब हो ...
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