27 July 2018

मेरा वतन आबाद हो



मेरा वतन आबाद हो 
मेरा वतन शादाब हो 
अज्ञानता की बेड़ियों को 
तोड़ फिर आज़ाद हो 
मेरा वतन .....

गंगा की पावन भूमि है 
श्री कृष्ण से देवो की भूमि  है 
गौतम गुरु नानक कबीर 
से संतो की  कर्मों की भूमि है 
 स्वर्णिम से काल की बात हो 
उस  युग का शंख ..नाद हो 
मेरा वतन आबाद हो ....

माटी धरा की छूनी है 
ऋषियों के माथे की धूनी है 
माँ भारती के लालों के 
रक्त  से रंजित भूमि है 
लालाट पे ये साज हो 
जैसे हिमालाय ताज हो 
मेरा वतन आबाद हो 
मेरा वतन शादाब  हो ...



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