फुटपाथों पे रहती अबलाएँ
क्या गौरैया सी होती है ??
जो लाल नीले हरे पीले कंतानो के बँधे नीड़ में सोती है !!
तेज़ आँधी, तूफ़ाँ , बरसातें
नीड़ कभी ध्वंस कर जाते है !
और कभी कौवे से आदम
शील ,जीव हरण कर जाते है !
मन ही मन में भय है इनके
ऐसी गौरैया सा होने में !
फिर भी चाहे, होना गौरैया
दिल के किसी एक कोने में !
सोच रही है ये अबलाएँ
गौरैया सी लुप्तप्रायः हो जाती वो !
फिर शायद किसी संरक्षक से
संरक्षण का सुख पाती वो !
तुम कहो कि फ़र्क़ कहाँ है
इक औरत के , गौरैया के होने में ?
एक लुटीं, बींधी पेड़ों पे,
एक सड़क के कोने में !
#Sandhya_Rathore
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